उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश शासन के सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा दिनांक 19 दिसंबर 2019 को एक रोस्टर जारी करके 10% EWS आरक्षण का प्रावधान किया गया था। इस रोस्टर के अनुसार कुल रिक्त पदों में से 10% पद EWS के लिए आरक्षित किए जाते हैं। इस मामले में हाई कोर्ट ने माना कि, EWS आरक्षण का लाभ पहले से आरक्षित जातियों को नहीं दिया गया है। इसलिए कुल पदों में से 10 प्रतिशत पद EWS वर्ग के लिए आरक्षित करना भारत के संविधान के अनुच्छेद 16(6) के प्रावधान से असंगत है। केवल अनारक्षित पदों में से 10% पदों को EWS के लिए आरक्षित किया जाना चाहिए। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता श्री रामेश्वर सिंह ठाकुर एवं विनायक प्रसाद शाह ने तर्क प्रस्तुत किए थे।
यदि सरकार ने कुल 100 रिक्त पदों पर नियुक्ति के लिए भर्ती प्रक्रिया शुरू की है तो उसमें से जातियों के लिए आरक्षित पदों (16पद SC को, 20 पद ST को, तथा 14 पद ओबीसी वर्ग=50) को घटाने के बाद जो अनारक्षित 50 पद बजाते हैं उसका 10% (5 पद) EWS के लिए आरक्षित किया जाना चाहिए। जबकि वर्तमान में 100 रिक्त पदों में से 10% यानी 10 पद EWS के लिए आरक्षित किए जाते हैं। इसके अलावा 27% ओबीसी आरक्षण विवाद के चलते जो 13% पद होल्ड किए जा रहे हैं उसका भी समाधान करना होगा।
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